मैंने कल खुद को आईने में देखा और संवारा
लोग कहते हैं आईने में इंसान का असली चेहरे दिखते है
पर क्या वाक़ई असली चेहरा देख पाते हैं
इस चेहरे ने ओढ़े कई नक़ाब
ऐ आईने तू ही सही चेहरा दिखा
दुनिया वालो ने ओढ़े कई नक़ाब
कैसे पेहचानु कौन है असली कौन है फरेबी
मैं एक आम इंसान कैसे उठाऊ ये नक़ाब
ऐ मालिक इतनी सी है गुज़ारिश
चार दिन की है ज़िंदगानी उठा दो ये सारे नक़ाब
सुकून के दो पल जी लेने दो जनाब
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