Friday, March 27, 2015

Naqaab

मैंने कल खुद को आईने में देखा और संवारा
लोग कहते हैं आईने में इंसान का असली चेहरे दिखते है
पर क्या वाक़ई असली चेहरा देख पाते हैं
इस चेहरे ने ओढ़े कई नक़ाब
ऐ आईने तू ही सही चेहरा दिखा
दुनिया वालो ने ओढ़े कई नक़ाब
कैसे पेहचानु कौन है असली कौन है फरेबी
मैं एक आम इंसान कैसे उठाऊ ये नक़ाब
ऐ मालिक इतनी सी है गुज़ारिश
चार दिन की है ज़िंदगानी उठा दो ये सारे नक़ाब
सुकून के दो पल जी लेने दो जनाब


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